’’हल्दीघाटी का युद्ध सहिष्णुता, त्याग एवं बलिदान का श्रेष्ठ उदाहरण है।’’ ऐसे विचार आर.एन.टी. महाविद्यालय, कपासन में त्याग, बलिदान और पराक्रम के प्रतीक मेवाड के स्वाभिमानी योद्धा एवं वीर षिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता कर रहे अकादमिक निदेषक षिवनारायण शर्मा ने कहे। शर्मा ने प्रताप की सहिष्णुता को बताते हुए कहा कि वे एक ऐसे धर्मयोद्धा थे जिनका सेनापति हकीम खां सूरी था वहीं दूसरी ओर अकबर का सेनापति मान सिंह था। ऐसे में हल्दीघाटी का युद्ध एक सहिष्णुता का युद्ध कहा जाए तो कोई अतिषयोक्ति नहीं होगी। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कृषि काॅलेज डीन प्रो. एल. के. दषोरा ने महाराणा प्रताप के जीवन इतिहास पर प्रकाष डालते हुए 18 जून 1576 को महाराणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुए हल्दी घाटी के युद्ध तथा 1582 में दिवेर के युद्ध के बारे में विस्तृत जानकारी दी।