आर.एन.टी. पी.जी. काॅलेज, कपासन के टैगोर सभागार में ’’रवीन्द्रनाथ टैगोर: जीवन दर्षन एवं षिक्षा’’ विषय पर एक दिवसीय काव्यंगोष्ठी में मुख्य वक्ता पेंषनर समाज कपासन के अध्यक्ष, षिक्षाविद् एवं साहित्यकार रामनारायण शर्मा ने अभिव्यक्त किये। शर्मा ने टैगोर के जीवन दर्षन पर प्रकाष डालते हुए कहा कि टैगोर का जीवन दर्षन मानवीय मूल्यों का संरक्षक होने के साथ साथ वैयक्तिक स्वातंत्रय, प्रकृति एवं षिक्षा के मध्य विद्यमान संवेदनात्मक अन्तःसूत्रों को अपने लेखन के माध्यम से न केवल भारत भूमि को वरन् विष्व के प्रमुख रचनाकारों, विचारकों, दर्षनषास्त्रियों, षिक्षाविदों इत्यादि को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से न केवल प्रभावित करता है, उन्हें अपनी जीवन दृष्टि को जन मन में संचरित करने का कार्य भी करता है। बालक के बचपन को सहेजने और भारत के भविष्य के निर्माण में बचपन की जीवनानुभूतियों को पुर्नजीवित करने में षिक्षक और विद्यार्थी के अन्तःसम्बन्ध को व्यंगात्मक रूप से ’तोता कहानी’ कई प्रकार से हमें बचपन को संरक्षित और संर्वागीण विकास में अध्यापक छात्र सम्बन्ध की निरन्तर मूल्यविहिन होती जाने पर चिन्ता भी व्यक्त की है