मुंगाना धाम 1008 श्री चेतनदास जी महाराज के सानिध्य में हुआ एनएसएस केम्प सम्पन्न

कपासन, 28 दिसम्बर 2024: ‘‘वैदिक ज्ञान व वेद ही भारतीय संस्कृति व संस्कारों का आधार।‘‘ इस विचार के साथ, स्थानीय आर.एन.टी. महाविद्यालय, कपासन की एन.एस.एस. एवं आर.आर.सी. इकाई द्वारा मुंगाना गाँव में आयोजित सात दिवसीय विषे-उनवजय शिविर के समापन समारोह के मुख्य अतिथि श्री श्री 1008 श्री चेतनदास जी महाराज के प्रधान सेवक रामदयालजी महाराज ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए यह बातें कहीं।

महाराज रामदयालजी ने अपने जीवन के कठिन अनुभवों को साझा करते हुए सभी स्वयंसेवकों को मेहनत, लगन और परिश्रम के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि स्वयंसेवकों को निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा में योगदान देना चाहिए, क्योंकि उनके योगदान से समाज में एकता और सद्भावना का वातावरण बनता है।

विषे-उनवजय अतिथि वैदिक आश्रम के प्रधानाचार्य हिमांषु जी महाराज ने स्वयंसेवकों को माता-पिता की सेवा और देश के प्रति समर्पण भाव रखते हुए अपने समाज के विकास के लिए प्रेरित किया। साथ ही, उन्होंने गांव में एकता और समाज सेवा के प्रति जागरूकता लाने के लिए स्वयंसेवकों का आभार व्यक्त किया।

महाविद्यालय के उपाचार्य डाॅ. ओ. पी. सुखवाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि एन.एस.एस. विद्यार्थियों को समाज से जोड़ने की एक कड़ी है, जिसके माध्यम से विद्यार्थी सेवक के रूप में समाज की सेवा के लिए तत्पर रहते हैं।

एन.एस.एस. प्रभारी एच. एल. अहीर ने बताया कि महाविद्यालय एन.एस.एस. इकाई का सात दिवसीय विषे-उनवजय शिविर का समापन समारोह मुंगाना ग्राम में प्रातः 11 बजे श्री श्री 1008 श्री चेतनदास जी महाराज के सानिध्य में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीपप्रज्ज्वलन से हुई।

समारोह में प्रमुख अतिथियों के रूप में रामदयालजी महाराज, प्रमुख अतिथि हिमांषु जी महाराज, अकादमिक निदेशक शिवनारायण शर्मा, कृ-िुनवजय डीन प्रो. एल. के. दशोरा, पूर्व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी रामसिंह चुण्डावत, प्रो. एस. एल. मूंदडा, मठ को-उनवजयाध्यक्ष एस. एल. शर्मा ने भी भाग लिया।

कार्यक्रम का संचालन आर. आर. नागर और राकेश जीनगर ने किया। कार्यक्रम के अंत में, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह के श्रद्धांजलि और मौन व्रत से समापन हुआ।

सात दिवसीय शिविर के दौरान आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी वितरित किए गए।

इस कार्यक्रम ने समाज में सेवा, एकता, और संस्कारों के महत्व को उजागर किया और सभी को प्रेरित किया कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाएं।