कपासन, 19 दिसम्बर 2024
“नशा विचारों की एक बीमारी है।”
ऐसे विचार एन.एस.एस. के दूसरे एक दिवसीय शिविर के बौद्धिक सत्र में उपाचार्य डॉ. ओ. पी. सुखवाल ने कहे। उपाचार्य सुखवाल ने स्वयंसेवकों को वर्तमान में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और उससे होने वाले आर्थिक, सामाजिक दु-प्रभावों का उल्लेख करते हुए कहा कि नशा नरक का द्वार है, व्यक्ति इसके आदी होकर बर्बाद हो जाता है और इसकी आदत का मुख्य कारण मित्रता होती है।
बौद्धिक सत्र की अध्यक्षता कर रहे महाविद्यालय के अकादमिक निदेशक शिवनारायण शर्मा ने सभी विद्यार्थियों को नशे से होने वाली बीमारियों से अवगत कराते हुए कहा कि व्यक्ति को अपने जीवन में किताबें, अखबार, पत्रिकाएँ पढ़ने का नशा होना चाहिए, न कि व्यसनयुक्त नशों का नशा। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. एस. एन. ए. जाफरी ने वर्तमान में बढ़ रहे मोबाइल के नशे से होने वाले नुकसानों से अवगत कराते हुए कहा कि वर्तमान में मोबाइल का नशा सामाजिक एवं धार्मिक नुकसानों की जड़ है, जो विद्यार्थियों को पतन के मार्ग पर ले जा रहा है।
कार्यक्रम अधिकारी हीरालाल अहीर ने बताया कि एन.एस.एस. के दूसरे एक दिवसीय शिविर के प्रातः कालीन सत्र में एन.एस.एस. के स्वयंसेवकों को 5 टोलियों में विभाजित कर माताजी मंदिर परिसर एवं आसपास के क्षेत्र में श्रमदान द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया गया। शिविर के तीसरे सत्र में बौद्धिक वार्ता का आयोजन किया गया। शिविर में महाविद्यालय के सहायक आचार्य आर. आर. नागर, डॉ. नीलिमा, अंकिता कुमारी, मोनिका, राकेश जीनगर ने सहयोग प्रदान किया।